प्यार करते हुए
प्यार करते हुए

शब्दों से मसले हल करने वाले बहरूपिए समय में
मैं तुम्हें शब्दों में प्यार नहीं करूँगा

नीम अँधेरे में डूबे कमरे के रोशन छिद्र से
नहीं भेजूँगा वह खत
जिस पर अंकित होगा पान के आकार का एक दिल
और एक वाक्य में
समाए होंगे सभ्यता के तमाम फलसफे
कि मैं तुम्हें प्यार करता हूँ

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मैं खड़ा रहूँगा अनन्त प्रकाशवर्षों की यात्रा में
वहीं उसी खिड़की के समीप
जहाँ से तुम्हारी स्याह जुल्फों के मेघ दिखते हैं
हवा के साथ तैरते-चलते
चुप और बेआवाज

नहीं भेजूँगा हवा में लहराता कोई चुम्बन
किसी अकेले पेड़ से
पालतू खरगोश के नरम रोओं से
या आईने से भी नहीं कहूँगा
कि कर रहा हूँ मैं सभ्यता का सबसे पवित्र
और सबसे खतरनाक कर्म

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