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सपना

गाँव से चिट्ठी आयी हैऔर सपने में गिरवी पड़े खेतों कीफिरौती लौटा रहा हूँ पथराये कन्धे पर हल लादे पिताखेतों की तरफ जा रहे हैंऔर मेरे सपने में बैलों के गले की घंटियाँघुँघरू की तान की तरह लयबद्ध बज रही हैं समूची धरती सर से पाँव तकहरियाली पहने मेरे तकिये के पास खड़ी है गाँव […]