प्रेमायु | प्रेमशंकर शुक्ला | हिंदी कविता
प्रेमायु | प्रेमशंकर शुक्ला | हिंदी कविता

इस आकाश में
कितने हस्ताक्षर हैं
सूर्य के
ढँके है जिसे
उसी के रथ की धूल

यह आकाश –
सबसे पुरानी पोथी है
जल-लिपि में लिखी

नीली-स्याही की इस इबारत को पढ़ा होगा
धरती के सबसे पहले प्रेमी युगल ने
और आकाश से ही
चला आया होगा
उनके प्रेम में कोमलता और अथाहपन

इस आकाश के आसपास ही
शुरू हुआ होगा प्रेम
शायद इसीलिए –
आकाश की आयु से
जुड़ी है प्रेमायु

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