परीक्षा के दिन | प्रेमशंकर शुक्ला | हिंदी कविता
परीक्षा के दिन | प्रेमशंकर शुक्ला | हिंदी कविता

मार्च का महीना है
परीक्षा के दिन हैं

सबसे सुंदर ऋतु के
सबसे महक वाले दिन हैं ये

बौर की गंध से भरा है मन

आम के नीचे बैठे
प्रश्नों के उत्तर घोखते
बार-बार गड़ रहा है
यह प्रश्न कि –
इतने सुहाने दिनों में
क्यों आती हैं
परीक्षाएँ
क्यों उलझते हैं हम उन प्रश्नों से
जो सिर्फ होने को प्रश्न हैं
जीने को नहीं।

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