प्रेम | प्रयाग शुक्ला
प्रेम | प्रयाग शुक्ला

प्रेम | प्रयाग शुक्ला

प्रेम | प्रयाग शुक्ला

बहुत दूर था चंद्रमा
उसकी आभा थी
पास

एक हाथ था
मेरे हाथ में

धमनियों में बह
रही थी
पृथ्वी।

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