Posted inPoems

हमें नहीं मालूम था | प्रयाग शुक्ला

हमें नहीं मालूम था | प्रयाग शुक्ला हमें नहीं मालूम था | प्रयाग शुक्ला हमें नहीं मालूम था कि हम मिलेंगे एक दिनपर जब मिल जाते हैं लगता हैतय था हमारा मिलना। यह कविता केवल मनुष्योंके बारे में नहीं है। हम बैठे रहते हैं गुमसुमकभी भीतर से अशांत। हम यानी मैं कुछ सीढ़ियाँकुछ पेड़, पहाड़, […]