डाल पर के मुरझाए फूल! 
हृदय में मत कर वृथा गुमान। 
नहीं है सुमन कुंज में अभी 
इसी से है तेरा सम्मान।।

मधुप जो करते अनुनय विनय 
बने तेरे चरणों के दास। 
नई कलियों को खिलती देख 
नहीं आवेंगे तेरे पास।।

सहेगा कैसे वह अपमान? 
उठेगी वृथा हृदय में शूल। 
भुलावा है, मत करना गर्व 
डाल पर के मुरझाए फूल।।

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