नश्तर | नरेंद्र जैन
नश्तर | नरेंद्र जैन

नश्तर | नरेंद्र जैन

नश्तर | नरेंद्र जैन

तारकोल की एक ताजा परत 
बिछाई जा रही है सड़क पर 
भट्टी की आँच में लगातार खदक रहा है 
तारकोल 
इस गर्म तारकोल से झुलस गया है बेतरह 
किसी का पाँव 
सड़क के एक ओर बनाए गए 
तंबू में लेटा झुलसा हुआ पाँव लिए 
देख रहा वह नई ताजा सड़क से गुजरता 
महामहिम राष्ट्रपति का भव्य काफि़ला 
और सोचता है 
मवाद पक चुका है 
बस नश्तर लगाने की देर है

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *