पत्थर | नरेंद्र जैन
पत्थर | नरेंद्र जैन

पत्थर | नरेंद्र जैन

पत्थर | नरेंद्र जैन

रात बारह बजे 
सनसनाता हुआ एक पत्थर 
मेरे घर की छत पर गिरता है 
रात बारह बजे 
एक पत्थर 
जैसे 
अचानक विस्फोट हो जाए भाषा में 
देश का चेहरा झुलसने लगे अचानक 
ठीक वैसे ही 
सनसनाता हुआ एक पत्थर 
मेरी छत पर गिरता है 
मैं नहीं जानता 
किस दिशा से वह आ गिरता है 
कौन सी ताकत उसे उछालती है हवा में 
पूरी तरह से नींद में गर्क हो जाऊँ 
उसी पल 
ठीक बारह बजे 
सनसनाता हुआ एक शब्द 
मेरे जेहन पर गिरता है 
और एक पत्थर 
मेरे घर की छत पर

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