नारंगी का सफेद इत्र
नारंगी का सफेद इत्र

भूल गई कैसे तुम !
अपने दाहिने हाथ के अँगूठे से
दबाकर निकाली गई
जंगली नारंगी की सुगंध
जबकि
उसी समय
तुम्‍हारी आँखें निचोड़ रही थी
आग के लिए
नारंगी का तेल

और कैसे हमने बातें की थी हिंदी में
मसाले की सुगंध के साथ
दाल और पोई
लहसुन के टुकडे़
और आम का अचार
साथ में फहराती रही थीं –
लाल-हरे रंग की पन्नियाँ

See also  यात्राएँ

कैसे भूल गई तुम !
नारंगी का सफेद इत्र
और अपने बीच के शब्‍द
रसीले और चमकदार
सूर्य-रश्मियों की तरह दीप्तिमान

Leave a comment

Leave a Reply