मैं सोचता थानहीं हम सोचते थेआकाश और धरतीके रिश्ते के बारे मेंलेकिन आज भीमुझे नहीं हमेंसमझ नहीं आईकि सब आते हैंधरती की गोद सेऔर सब लौटते हैंआसमान की तरफ!यह कैसे?मैं नहीं हम नहीं सबलाजवाब हो खड़े हैं!