मैं और वो | अवनीश गौतम
मैं और वो | अवनीश गौतम

मैं और वो | अवनीश गौतम

मैं और वो | अवनीश गौतम

1.

वो पूछती, साथ चलोगे?
मैं डरता,
पता नहीं कहाँ ले जाएगी मुझे?
डर से मैं मौन रहता
मेरा मौन उसे अबूझ लगता
अबूझ के आकर्षण से वह बंधी रहती

उसके बंधे होने से
मेरा डर काफी कम हो जाता

2 .

मेरी हाँ और ना के
बीच इतना अंतराल होता कि
कि वो उसी में प्रेम कर, गुस्सा कर,
रो कर, थक कर, घुटने मोड़ कर सो जाती
कभी-कभी वह नींद में बड़बड़ाती
तब मैं उसे थपकियाँ दे कर सुला देता
अपने ही बड़बड़ाने की आवाज से
वह जाग सकती थी

मुझे उसके जागने से डर लगता
जबकि सोती हुई वह देवी लगती थी

3 .

वो हमेशा ज्यादा सामान रखती
मैं उसे समझाता
सफर पर साथ चलाना है तो
सामान हल्का होना चाहिए
देखो प्रेम में ढाई अक्षर होते हैं
जबकि बराबरी में चार

और वो अक्सर मान जाती

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