क्या देह बनाती है माँओं को ?
क्या समय ? या प्रतीक्षा ? या वह खुरदरी राख
जिससे हम बीन निकालते हैं अस्थियाँ ?
या यह कि हम मनुष्य हैं और एक
सामाजिक-सांस्कृतिक परंपरा है हमारी
जिसमें माँएँ सबसे ऊपर खड़ी की जाती रही हैं
बर्फीली चोटी पर,
और सबसे आगे
फायरिंग स्क्वैड के सामने ।
![माँ की याद 1](https://www.hindiadda.com/wp-content/uploads/ha/2019/12/माँ-की-याद-1.jpg)