लिखना चाहिए | लाल्टू
लिखना चाहिए | लाल्टू

लिखना चाहिए | लाल्टू

लिखना चाहिए | लाल्टू

लिखना चाहिए
और नहीं फाड़ना चाहिए
जो लिखना चाहिए

लिखना चाहिए कि
सरकार की अस्थिरता के आपात दिनों में
एक शाम उसका चेहरा था
मेरी उँगलियों को छूता

कि दिनभर दौड़धूप टके-पैसे की मारकाट के बाद
वह मैं रेलवे प्लेटफॉर्म पर खड़े
देख रहे थे अस्त जाता सूरज

See also  प्लाथ | आल्दा मेरीनी

भीड़ सरकार की अस्थिरता से बेखबर यूँ
सूरज उन तमाम रंगों में रँगा
जो उसके साथ हमें भी शाम के धुँधलके में छिपाए

कि उसके जाने के बाद लगातार कई शाम
मेरी उँगलियाँ ढूँढती हैं
उसकी आँखें
सूरज हर शाम पूछता कुछ सवाल

लिखना चाहिए
और नहीं फाड़ना चाहिए
हमारे उसके रोशनी के क्षण
जब सूरज और अपने दरमियान
अँधेरे में बेचैन है मन.

See also  ओवरकोट | आल्दा मेरीनी

(पश्यन्ती – 2000)

Leave a comment

Leave a Reply