Tushar Dhawal
Tushar Dhawal

नाहक ही होती है कविता 
नाहक ही छपती है 
नाहक के इस उर्वर प्रदेश में जो बस गया 
अकेला रह जाता है

मत बसो इस खतरनाक मौसम वाली जगह में 
पर्यटक की तरह आओ और निकल जाओ 
शिखर की तरफ 
कविता के साधन पर सवार

मत लिखो 
मत पढ़ो कविताएँ 
वह बड़ा कवि झूठा है 
कविता नहीं वह सीढ़ियाँ लिखता है

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