इंद्रधनुष के सहारे
इंद्रधनुष के सहारे

मैं था, एक चादर थी
और था एक घना जंगल
फिर भी निकल आया इंद्रधनुष
तू जो बाहर खड़ी

मेरी राह देख रही थी

तू थी, मैं था और था एक बड़ा सहरा
हम पार कर गए इंद्रधनुष के सहारे
हम दोनों के पास हम दोनों थे

एक रोटी थी, कुत्ता था
और भूखे थे हम दोनों
आधी रोटी कुत्ते को खिलाने से
हमें एतराज नहीं था
हम इंद्रधनुष के सहारे से निकले थे
हमें भूख की जगह खुशी लग रही थी
मुक्कमल की जगह मकबूल होना भाने लगा था
हम एक दूसरे के मकबूल हो रहे थे
हमारी दुनिया मकबूल हो रही थी

READ  हमारे दिल सुलगते हैं

Leave a comment

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *