हरा | प्रतिभा कटियारी
हरा | प्रतिभा कटियारी
कुछ जो नहीं बीतता
समूचा बीतने के बाद भी
आमद की आहटें नहीं ढक पाती
इंतजार का रेगिस्तान
बाद भीषण बारिशों के भी
बाँझ ही रह जाता है
धरती का कोई कोना
बेवजह हाथ से छूटकर टूट जाता है
चाय का प्याला
सचमुच, क्लोरोफिल का होना
काफी नहीं होता पत्तियों को
हरा रखने के लिए…