हजारों मील दूर | प्रयाग शुक्ला हजारों मील दूर | प्रयाग शुक्ला बच्चों को नींद मेंछोड़ कर हम चले आते हैं।हमारी नींद मेंबच्चे आते हैंसुबह हम एक-दूसरे कोअलग-अलगशहरों में पाते हैं।एक-दूसरे से बातें करतेहजारों मील दूर।