अँधेरी बस्ती में घर मेरा
किसने नाम दिया चंद्रमुखी ?
अनेक तितलियों के बीच
तुम तो एक मधुमक्खी।
घने वन में तुम
चंदन के पेड़।
करंज के तेल में
जल-जल बुझती आती
मैं आखिरी शिखा।
(बुझने से पूर्व शेष शिखा
क्यों इतना जलती ?)
बीतती जाती रात।
तभी जा रहे, जाओ।
पर याद रखो, यह बदनाम गली।
यह माटी पवित्र है, मन भी
ठीक चाँदनी रात-सी
जा रहे, जाओ।
देखो, पीछे बह रही
अनबूझ आँसुओं की नदी।
देखो, पंख फड़फड़ा रही
तुम्हारे साथ उड़ जाने
एक चित्रित चिड़िया।