दुखों की छाया | त्रिलोचन दुखों की छाया में यह भव बसा है, नियति कीसदिच्छा होगी तो कुछ दिन कटेंगे, समय केसधे आयामों में। भ्रम भ्रम रहेगा कि सच काकभी पल्ला लेगा; श्वसन ठहरेगा विजन में।