दिल्ली में एक दिन | मंगलेश डबराल
दिल्ली में एक दिन | मंगलेश डबराल

दिल्ली में एक दिन | मंगलेश डबराल

दिल्ली में एक दिन | मंगलेश डबराल

उस छोटे से शहर में एक सुबह
या शाम या किसी छुट्टी के दिन
मैंने देखा पेड़ों की जड़ें
मजबूती से धरती को पकड़े हुए हैं
हवा थी जिसके चलने में अब भी एक रहस्य बचा था
सुनसान सड़क पर
अचानक कोई प्रकट हो सकता था
आ सकती थी किसी दोस्त की आवाज
 
कुछ ही देर बाद
इस छोटे से शहर में आया
शोर कालिख पसीने और लालच का बड़ा शहर। 

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *