हारमोनियम | मंगलेश डबराल हारमोनियम | मंगलेश डबराल पानी बहने और तारे चमकने की तरहएक कठिन संगीतहीन संसार मेंवह भी बजा कुछ देर तकवह कमरे के बीचोंबीच रखा थाउजाले मेंउसके कारण जानी गई यह जगहलोग आते और उसके चारों ओर बैठते अब वह पड़ा है बाकी सामान के बीचपीतल लोहे और लकड़ी के साथउसे बजाने […]
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सपने की कविता | मंगलेश डबराल
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वसंत | मंगलेश डबराल
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