मौत आईथोड़ा-सा चखकर चली गई नींद आईथोड़े सपने रखकर चली गई खुशी आईथोड़ी-सी दिखकर चली गई शाम आईअवसाद से भर रीत गई सुबह आईफिर कुछ लिखकर चली गई सब आए पर पूरी तरह नहींजैसे अधूरा होनासब की नियति हो