आर्टस फैकल्टी | अर्पण कुमार
आर्टस फैकल्टी | अर्पण कुमार

आर्टस फैकल्टी | अर्पण कुमार

आर्टस फैकल्टी | अर्पण कुमार

एक बड़ा सा समूह था…
कुछ लोग मौके-बेमौके
खेमे बनाते चले गए…
इस तरह छोटे-छोटे कई उपसमूह हो गए

अब हमारा भी एक उपसमूह है
लेकिन ठहरिए
यह अलगाव की नीयत से बना
कोई उप-समूह नहीं है
यह उसी बड़े से समूह का अवशेष है
जिसके कुछ लोग
किसी भी खेमे में नहीं गए

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