हमारे भीतरधड़कता हुआधरती का कोई कोना हैजिससे हमधरती पहचान लेते हैं नदी है कोईजिससे हम बाहर की नदीदेख लेते हैं भीतर के आकाश मेंशब्द हैं कुछकह पाते हैंजिससे हमअपनी भी बात को।