बहुत-सी तस्वीरें समेटेएक एलबम हूँ इतने सारे दृश्यों से जड़ाभरा हुआ इतनी छवियों से यह टूटी हुई-बिखरी हुईकिसकी छवि हैये लकीरें किन मर्मों तक पहुँच हैं क्यों हूँ ऐसाकि न पूरा कह पाता हूँन रह जाता हूँचुप ही