एक सुबह करने में | प्रेमशंकर शुक्ला
एक सुबह करने में | प्रेमशंकर शुक्ला

एक सुबह करने में
रात को पसीना छूट जाता है
अपनी जुबान में
जिसे हम ‘ओस’ कहते हैं।

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