अगरबत्ती जलाने से
इतनी भी रोशनी नहीं होती
कि एक आदमी अपना रास्ता देख सके
एक चमक-सी मालूम होती है
और धीरे-धीरे फैलती है
हल्की खुशबू
जिसे अंधे भी महसूस कर सकते हैं

आने वाले दिन पता नहीं कैसे हों
कभी कोई अच्छी बात सुनाई देगी
तो लगेगा
अँधेरे शहर में अगरबत्ती जल रही है

See also  माँ | नीरज पांडेय

अगरबत्ती मशाल नहीं बन सकती
वह खत्म होने तक टिमटिमाती है
जैसे खत्म हो जाने के बाद उसकी याद
आसमान में एक तारे की तरह।