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सपनों के मुताबिक

हम नहीं चाहेंगेकि सौ साल बादजब हम खोलें तुम्हारी किताबतो निकले उसमें सेकोई सूखा हुआ फूलकोई मरी हुई तितलीहम चाहेंगेदुनिया हो तुम्हारे सपनों के मुताबिक।