आँखें तरेरती | प्रेमशंकर शुक्ला
आँखें तरेरती | प्रेमशंकर शुक्ला

आँखें तरेरती
मुश्किलें आँखें
पगड़ी पहने
दुख आया
सुख आया
इतना छोटा
कि उसे बड़ा करने में
जीवन बीत गया।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *