आँखों के जल से | आग | प्रेमशंकर शुक्ला
आँखों के जल से | आग | प्रेमशंकर शुक्ला

आँखों के जल से
सींचा उन ने
अपना प्रेम
धोई अपनी पीड़ा
आँखों के जल से

डबडबाई आँखों में भी
उन ने मुस्कराने का गुर सीखा
यह – उनके जीवन से अर्जित
उनका सच था

आँखों के जल से ही
खारा हुआ
उनकी आयु का समुद्र

पर मजाल क्या
कि उनकी आत्मा का जल
अपनी निर्मलता में
थोड़ा भी हुआ हो कम

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