आग | प्रभात रंजन
आग | प्रभात रंजन

आग | प्रभात रंजन

आग | प्रभात रंजन

क्षितिज में आग लग गई है 
आकाश का कोना लाल हो गया है 
धुएँ के मारे दिशाएँ काली पड़ने लग गई हैं 
वह देखो आसमानी फरिश्तों ने धुएँ के मारे 
लालटेनें जला ली हैं 
जाड़े से बचने के लिए पुआल सुलगा लिया है 
(जिसकी रोशनी दूर से सीमित और पीली दिख रही है) 
पुआल की आग धीमे-धीमे मद्धिम हो रही है 
कुछ बुझे कोयले उनके बीच दिखाई दे रहे हैं।

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