यह क्या कम हैघट नहीं रहाअंतस् का अमृत जीवन की राह सेथक नहीं रहे पाँव हताशा को धकियाताखड़ा हूँ पूरंपूर जीवन की जय लगातेलटपटा नहीं रही जीभयह क्या कम है