याद कैलेंडर | प्रतिभा कटियारी
याद कैलेंडर | प्रतिभा कटियारी

याद कैलेंडर | प्रतिभा कटियारी

याद कैलेंडर | प्रतिभा कटियारी

जनवरी
सर्दियों के लिहाफ से चुपके निकलता है सूरज
कुछ चहलकदमी करके, वापस लौट जाता है
यादों को लौटने का हुनर क्यों नहीं आता…

फरवरी
सुर्ख फूलों की क्यारियाँ,
बच्चों की हँसी की खुशबू
तेरी याद सी मासूम…

मार्च
धरती ने पहनी धानी चूनर
लगाया अमराइयों का इत्र
और तेरी याद का काजल…

अप्रैल
झर गई हैं स्मृतियाँ
खाली पड़े हैं आँखों के कोटर
नए भेष में आर्इ है याद इंतजार बनकर…

मर्इ
हाँफते दिनों का हाथ थाम
रात तक बचा ही लेता हूँ
आँख की नमी… तुम्हारी कमी…

जून
गुलमोहर और अमलताश
कुदरत के दो रंग, दो राग
तीसरा तुम्हारी याद…

जुलार्इ
बूँदों की ओढ़नी
मोहब्बत का राग
और तुम्हारा नाम…

अगस्त
दिन की किनारी पर बँधे
दिन… रात…
और तुम्हारे कदमों की आहट

सितंबर
लाल आकाश पर समंदर की परछार्इं
रात के माथे पर उगते सूरज की तरह
जैसे तूने जोर से फूँका हो रात को…

अक्टूबर
वक्त की शाख से उतरकर
कंधे पर आ बैठे हैं
सारे मौसम…

नवंबर
न जाने कितने लिबास बदलने लगा है दिन
शाम सजनी है किसी दुल्हन की तरह
तेरा जिक्र करता है करिश्मे क्या-क्या…

दिसंबर
मीर की गजलों का सिरहाना बनाकर
धूप में बैठकर सुनता हूँ
तेरे कदमों की आहट…

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