विज्ञापन | लीना मल्होत्रा राव
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उतरती है एक पगडंडी, 
टीवी से मेरे ड्राइंग रूम तक 
फिर उतरते हैं रंग-बिरंगी पोशाकों वाले कुछ बच्चे 
उनके हाथों में पिज्जा के डिब्बे और कोक की बोतलें होती हैं 
मेरे बच्चे उनके पिज्जा को देख कर मचलते हैं 
और मुझे सारा खाना वापिस फ्रिज में ठूँसना पड़ता है 
डोमिनोस या पिज्जाहट से फोन करके मॅंगवाती हूँ मैं एक पिज्जा 
बचा हुआ खाना काम करने वाली बाई ले जाती है फ्रिज से 
और मेरे खाते में गरीब को खाना खिलाने का पुण्य जमा हो जाता है

मेरे बच्चे 
मुझसे शिकायत करते हैं 
कि मैं 
पराठा बनाने वाली आउटडेटेड माँ हूँ

वो कहीं माँ न बदल लें, 
इस डर से 
मैंने पिज्जा बनाना सीख लिया है

अब मेरी किचन मॉडर्न किचन है 
डिब्बों में भरी जाने लगी हैं अब मोज्रेला चीज, और पास्ता के टुकड़े,

मेरे घर में ओवन है 
जो बटन दबाते ही गर्म हो जाता है 
और एक पतिव्रता स्त्री की तरह घूम घूम कर हुकुम बजा लाता है

घर समृद्ध हो गया है – ओवन है 
टोस्टर है, 
गीजर है शॉवर है 
इलेक्ट्रिक शेवर है 
बहुत समय बचता है सब काम मशीनें कर रही हैं 
इस बचे हुए समय का सदुपयोग हम करते हैं 
अपने अपने लैपटॉप पर

हम सबकी सबके मित्र सूची में 
चार-पाँच हजार 
दोस्त हैं 
उनसे फुर्सत मिलती है, 
तो हम एक-दूसरे का हाल-चाल पूछ लेते हैं

कभी-कभी जब बत्ती गुल हो जाती है 
तो बत्ती आने की प्रतीक्षा में 
हम एक दूसरे को अपने फन्नी दोस्तों की बातें और स्टेटस सुनाते हैं 
और खूब हँसते हैं

हमारे पड़ोसी चकित हैं! 
कि अँधेरा होते ही हमारे घर से हँसी के फुहारे क्यों फूटने लगते हैं

मैं इस अँधेरे और हॅंसी को 
सँभाल कर रख रही हूँ अपने आभूषणों की तिजोरी में 
कौन जाने 
ये पगडंडी कब पक्की सड़क में बदल जाए! 
कब एक कार उतर आए 
और 
भर कर ले जाए 
मेरे बच्चों को, 
पति को

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