वह | फ़रीद ख़ाँ वह | फ़रीद ख़ाँ वह हर गली नुक्कड़ पर तन कर खड़ा था।लोग आते जाते सिर नवाते, चद्दर चढ़ाते उसको। दीमक ने अपना महल बना लिया था, अंदर ही अंदर उसके।मैंने जब वरदान माँगा,तो वह ढह गया।