वह कर गया पार | फ़रीद ख़ाँ

वह कर गया पार | फ़रीद ख़ाँ

वह कर गया पार | फ़रीद ख़ाँ वह कर गया पार | फ़रीद ख़ाँ उसके पूरे परिवार का अपहरण कर लिया गया। उसने बेगार से कर दिया था इनकार।थोड़ा बहुत पढ़ लिया था नजर बचा के। वह गाँव से लगी सड़क पर,जहाँ बस आकर रुकती है थोड़ी देर,खोलना चाहता था मोची की एक दुकान। उसके … Read more

वह | फ़रीद ख़ाँ

वह | फ़रीद ख़ाँ

वह | फ़रीद ख़ाँ वह | फ़रीद ख़ाँ वह हर गली नुक्कड़ पर तन कर खड़ा था।लोग आते जाते सिर नवाते, चद्दर चढ़ाते उसको। दीमक ने अपना महल बना लिया था, अंदर ही अंदर उसके।मैंने जब वरदान माँगा,तो वह ढह गया।

लकड़-सुँघवा | फ़रीद ख़ाँ

लकड़-सुँघवा | फ़रीद ख़ाँ

लकड़-सुँघवा | फ़रीद ख़ाँ लकड़-सुँघवा | फ़रीद ख़ाँ रात में भी लोगों में रहने लगा है अब,लकड़-सुँघवा का डर। 1 लू के मौसम में,जब सुबह का स्कूल होता है,दोपहर को माँ अपने बच्चे से कहती है,‘सो जा बेटा, नहीं तो लकड़सुँघवा आ जाएगा।’‘माँ, लकड़-सुँघवा को पुलस क्यों नहीं पकड़ लेती?’‘बेटा, वह पुलिस को तनख्वाह देता … Read more

महादेव | फ़रीद ख़ाँ

महादेव | फ़रीद ख़ाँ

महादेव | फ़रीद ख़ाँ महादेव | फ़रीद ख़ाँ जैसे जैसे सूरज निकलता है,नीला होता जाता है आसमान। जैसे ध्यान से जग रहे हों महादेव। धीरे धीरे राख झाड़, उठ खड़ा होता है एक नील पुरुष।और नीली देह धूप में चमकने तपने लगती है भरपूर। शाम होते ही फिर से ध्यान में लीन हो जाते हैं … Read more

मुस्कुराहटें | फ़रीद ख़ाँ

मुस्कुराहटें | फ़रीद ख़ाँ

मुस्कुराहटें | फ़रीद ख़ाँ मुस्कुराहटें | फ़रीद ख़ाँ हर कोई मुस्कुराता हैअपने अपने अर्थ के साथ।बच्चा मुस्कुराता है,तो लगता है, वह निर्भय है।प्रेमिका मुस्कुराती है,तो लगता है, उसे स्वीकार है मेरा प्रस्ताव।दार्शनिक मुस्कुराता है, तो लगता है, व्यंग्य कर रहा है दुनिया पर।भूखा मुस्कुराता है, तो लगता है, वह मुक्त हो चुका है और पाने … Read more

मेरा ईश्वर | फ़रीद ख़ाँ

मेरा ईश्वर | फ़रीद ख़ाँ

मेरा ईश्वर | फ़रीद ख़ाँ मेरा ईश्वर | फ़रीद ख़ाँ मेरा और मेरे ईश्वर का जन्म एक साथ हुआ था। हम घरौंदे बनाते थे,रेत में हम सुरंग बनाते थे। वह मुझे धर्म बताता है,उसकी बात मानता हूँ,कभी कभी नहीं मानता हूँ। भीड़ भरे इलाके में वह मेरी ताबीज में सो जाता है,पर अकेले में मुझे … Read more

भूख | फ़रीद ख़ाँ

भूख | फ़रीद ख़ाँ

भूख | फ़रीद ख़ाँ भूख | फ़रीद ख़ाँ भूख बनाती है मूल्य।इस पार या उस पार होने को उकसाती है।नियति भूख के पीछे चलती है। ढा देती है मीनार। सभी ईश्वर, देवी-देवता, और पेड़ पौधे, स्तब्ध रह जाते हैं। भूख रचती है इतिहास…

बापू | फ़रीद ख़ाँ

बापू | फ़रीद ख़ाँ

बापू | फ़रीद ख़ाँ बापू | फ़रीद ख़ाँ बापू!मूर्ख मुझे मुसलमान समझते हैं।उससे भी ज्यादा मूर्ख खुश होते हैं कि एक मुसलमान राम भजता है।सच बताता हूँ तो मेरा मुँह ताकते हैं। सीधी बात से वे चकरा जाते हैं।टेढ़ी बात पर तरस खाने लगते हैं मुझ पर। बापू!मैं क्या करूँ अपने निर्दोष मित्रों का?

बाघ | फ़रीद ख़ाँ

बाघ | फ़रीद ख़ाँ

बाघ | फ़रीद ख़ाँ बाघ | फ़रीद ख़ाँ मुझे उम्मीद है किअपने अस्तित्व को बचाने के लिए,बाघ बन जाएगा कवि,जैसे डायनासोर बन गया छिपकली,और कवि कभी कभी बाघ। वह पंजा ही है जो बाघ और कवि को लाता है समकक्ष।दोनों ही निशान छोड़ते हैं।मारे जाते हैं।

पानी | फ़रीद ख़ाँ

पानी | फ़रीद ख़ाँ

पानी | फ़रीद ख़ाँ पानी | फ़रीद ख़ाँ खबर आई है कि कुएँ बंद किए जा रहे हैं,जहाँ से गुजरने वाला कोई भी राहगीर,किसी से भी पानी माँग लिया करता था। वैज्ञानिकों के दल ने बताया है,कि इसमें आयरन की कमी है,मिनिरल्स का अभाव है,बुखार होने का खतरा है। अब इस कुएँ के पानी से,सूर्य … Read more