उस पार | प्रतिभा चौहान
उस पार | प्रतिभा चौहान

उस पार | प्रतिभा चौहान

उस पार | प्रतिभा चौहान

भीड़ में घिरे होने पर भी 
अकेलेपन का कानून 
मीठी खट्टी यादों के नियम लागू हैं 
और लागू है 
तमाम दुनिया के सिद्धांत 
अपनी-अपनी जगह 
लाँघ जाते हैं अक्सर देश की सीमाएँ भी वे सब 
जो प्रतिनिधित्व करते हैं सारे जग के प्रेमियों का 
पर कुछ लाँघ नहीं पाते 
अपने अहम 
और जिद को भी… 
सुस्ती में पेंडुलम भी नहीं बताता 
समय 
और रिश्तो की शांत धड़कन 
और बढ़ते हुए फीकेपन को 
कब लाँघ जाता है प्रेम 
पता ही नहीं चलता…

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