खूबसूरत परछाइयाँ | प्रतिभा चौहान
खूबसूरत परछाइयाँ | प्रतिभा चौहान
क्या मेरा ही आईना हो तुम
खुद को देखती हूँ
घुली नीली रोशनाई में
कहीं ये तुम्हारी सितारों से साजिश तो नहीं,
माना कि हजारों सितारे हैं
जिनका नूर अपना है,
मैं तो चाँद हूँ
तुम्हारी रोशनी की खूबसूरत परछाइयों की कलम से
लिख रही हूँ नसीब अपना।