उम्मीद | मंगलेश डबराल उम्मीद | मंगलेश डबराल आँख का इलाज कराने जातेपिता से दस कदम आगे चलता हूँ मैं आँख की रोशनी लौटने की उम्मीद मेंपिता की आँखें चमकती हैं उम्मीद से उस चमक में मैं उन्हें दिखता हूँदस कदम आगे चलता हुआ।