तुममें लौटना | घनश्याम कुमार देवांश
तुममें लौटना | घनश्याम कुमार देवांश

तुममें लौटना | घनश्याम कुमार देवांश

तुममें लौटना | घनश्याम कुमार देवांश

सर्दियाँ खत्म हुईं
और पक्षी घर लौट गए
जिंदगी में एक स्वतंत्र अस्सीम आसमान
के सिवा जिन्होंने
कभी दूसरी कोई चीज न चाही
आखिर वे भी
पूरी पृथ्वी और पूरा आसमान उड़ने के बाद
अपने घर लौट गए
मैं तुम्हें एक घर की तरह
याद करता हूँ
जब पैरों में घाव
आत्मा में स्मृतियाँ
और आँखों में रात भर आती है
मैं सिर्फ तुममें लौटना चाहता हूँ

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *