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कहानी रचै क कहानी

जबसे सबकै सुख-दुख जानै-समुझै लागेन मन बेचैन रहै लाग। यक दिन हमरी माई क गुरू जी आये। वनकाँ सबही वेदांती बाबा कहत रहे। नाव काउ रहा हम नाय जानित। वै माई से बोलिन – ‘ई तोर बिटिया का सोचत-विचारत रहत है? जान परत है कि एका कउनौ दुख बा।’ माई बोलीं – ‘का बताई गुरु […]