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प्रेम

१. प्रेम वक्रोति नहींपर अतिश्योक्ति जरूर हैजहाँ चकरघिन्नी की तरहघूमते रहते हैं असंख्य शब्दझूठ-मूठ के सपनोंऔर चुटकी भर चैन के लिए…! २. प्रेम एक बहुत ऊँचा पेड़ हैजिस पर चढ़ना मुश्किलबस, करनी होती है प्रतीक्षाकि आएगा कोई पंक्षीजो खाकर ही सहीगिरा देगा एक मीठा फल,और जब मिलता है वोतो उसका काफी हिस्सापहले ही खाया जा […]