किराये का इंद्रधनुष

बंबई की बरसात भी बस! मुसीबत ही है। कहाँ तो सोचा था कि इन दो-तीन दिनों में पूरी बंबई घूमूँगा। इस मायानगरी को खुद अपनी आँखों से देखूँगा, जानूँगा और कहाँ फँसा पड़ा हूँ इस गेस्ट रूम में। जब से यहाँ आया हूँ, यह झड़ी जो लगी है, रुकने का नाम ही नहीं ले रही। … Read more

करोड़पति

इस समय भी वह लिफ्ट के पास खड़ा इशारे से किसी न किसी को अपनी तरफ बुला रहा होगा या फिर कैंटीन में बैठा अपनी ताजा रचना जोर-जोर से पढ़ रहा होगा। जिसने भी उससे आँख मिलाई, उसी की तरफ उँगली से इशारा करके अपनी तरफ बुलाएगा और भर्राई हुई आवाज में कहेगा, ‘मैं आपको … Read more

आँख मिचौली

कैंप डायरी, पहला दिन जिस जगह हमने कैंप लगाया है, वह समतल जमीन का एक छोटा-सा टुकड़ा है। नीचे की तरफ पहाड़ी नाला और ऊपर की तरफ सड़क। आसपास ऊबड़-खाबड़ जमीन है जिस पर बेतरतीबी से जंगली झाड़ियाँ उगी हुई हैं। हालाँकि हमें यहाँ सिर्फ सात दिन रहना है, फिर भी सारे टैंट कैंप प्लान … Read more

अल्बर्ट

मुझे तुम पर शर्म आ रही है अल्बर्ट। तुम इस लायक भी नहीं रह गए हो माय सन कि तुम्हें बेटा कहूँ। पता नहीं यह पत्र पढ़ने के लिए तुम घर पर लौट कर आओगे भी या नहीं। मुझे पता होता कि यहाँ आने पर मुझे इस तरह से परेशान होना पड़ेगा तो मैं आता … Read more

अधूरी तस्वीर

आपने मुझे भारी विपदा में डाल दिया है, इंस्पेक्टर साहब! लिख सकूँगी क्या वह सब? सब कुछ हालाँकि आँखों के आगे हर वक्‍त घूमता रहता है, लेकिन उसे शब्दों में बयान करना, उस सब कुछ को फिर से झेलने-भोगने जैसा लग रहा है। बहुत मुश्किल काम है सर, लेकिन आपने देश का, ड्यूटी का, धर्म … Read more