श्रवण की वापसी

बापू की गिरफ्तारी की खबर सुनकर मेरा मन रेत की तरह ढह गया था। चारों ओर किंकर्तव्यविमूढ़ता के गुब्बार उड़-उड़कर मेरे साहस, ज्ञान और कर्तव्य को ताने से दे रहे थे। मेरी यह मजबूरी या कमजोरी है कि ऐसे संकट-काल में मेरा संतुलन डगमगा जाता है और मैं उस वक्त इस स्थिति में कदापि नहीं … Read more

रावण-टोला

रामलीला समाप्त होने में अभी पाँच दिन बाकी थे। शहर में पढ़ने वाले लड़के भी रामलीला का बहाना लगाकर गाँव में ऐश कर रहे थे। लाल छींट की साड़ी जैसे तहमद की फैशन चल पड़ी थी – इस बार गाँव में। बाल भी बाजने के मोहन-कट नहीं, कहते थे, ‘बस एक ही नाई है अलीगढ़ … Read more

पुल

गाँव की बहुत बड़ी इच्छा पूरी हुई। पहले चुनावों से तो क्या, जब देश आजाद हुआ था, तभी से लोगों ने मंसूबे बाँध रखे थे कि अब तो अपना राज्य आ गया, निश्चय ही अब हर साल भयावह तबाही मचाने वाले नाले पर पुल बँधेगा। गांधी महात्मा यही तो चाहते थे कि अपने लोग जब … Read more

टीका प्रधान

सारे मुहल्ले में टीका का ही एक कमरा पक्का बना हुआ है। सामने एक छप्पर, उसके पीछे दो कच्चे कमरे, जिनमें उसका परिवार रहता है। मकान टीले पर तो है ही, साथ ही मुख्य रास्ते पर भी। इसलिए गाँव में घुसते समय सबसे पहले उसी पर नजर पड़ती है। हर मंगलवार को गाँव में पैंठ … Read more