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श्रवण की वापसी

बापू की गिरफ्तारी की खबर सुनकर मेरा मन रेत की तरह ढह गया था। चारों ओर किंकर्तव्यविमूढ़ता के गुब्बार उड़-उड़कर मेरे साहस, ज्ञान और कर्तव्य को ताने से दे रहे थे। मेरी यह मजबूरी या कमजोरी है कि ऐसे संकट-काल में मेरा संतुलन डगमगा जाता है और मैं उस वक्त इस स्थिति में कदापि नहीं […]