बेघर रात

बेघर रात

स्थगित होती हूँ ओ रात ! हमारे बीच अभी जो वक्त है फँसा चट्टान की तहों में जीवाश्म उसे छू सहला यह जो हमारे बीच चटक उजला दिन है अपराधी सा बस के बोनट पर सफर करता पसीने में भीगता मुँह लटका उतरता गलत स्टॉप पर पछताता इसे छाया दे ! रक्त और धड़कन हो जा दाँत दिखा मुँह खोल मैले नाखून देख लेट जा बेधड़क फूला पेट ककड़ी टाँगें फैला क्षितिज … Read more

नींद के बाहर

नींद के बाहर

(1.) अनमनी आँखों में मुँद जाती तस्वीर तुम्हारीदूर तक कानों में गूँजती हवा की गुदगुदीतुमने पुकारा हो जैसे मेरा नाम…आज नहीं सुनती कोई बाततुम्हें सुनती हूँऐसी ही होगी सृष्टि के पहले पुरुष की आवाज …आखेटक ! सधी हुईमाहिरलयबद्धकलकलसृष्टि का पहला झरना…पहले प्रेम में खिली लता सीझूल गई हूँ इसे थाम… (2.) दिन सन्नाटा हैभटकती रही … Read more

नहीं मरूँगी मैं

नहीं मरूँगी मैं

जाऊँगी सीधी, दाएँ और फिर बाएँ आगे गोल चक्कर पर घूम जाऊँगी लौट आऊँगी इसी जगह फिर से जब सो जाओगे तुम सब लोग उखाड़ दूँगी यह सड़क उगा आऊँगी इसे समंदर पर गोल चक्कर को चिपका दूँगी सड़क के फटे हुए हिस्सों पर कुछ भी करूँगी सोऊँगी नहीं आज मैं मरूँगी नहीं बिना देखे काली रात सुनसान लैंप पोस्ट की रोशनी में चिकनी … Read more

दुख

दुख

(1.) फिसलता हैबाँहों से दुखबार बारनवजात जैसे कमउम्र माँ की गोद सेपैरों पर खड़े हो जाने तक इसकेफुरसत नहीं मिलेगी अब जागती हूँमूर्त मुस्कानअमूर्त करती हूँ पीड़ाडालती हूँ गीले की आदतअबीर करती हूँ एकांतउड़ाती हूँ हवा में… (2.) सब पहाड़ी नदियाँ एक सी थींमैं ढूँढ़ रही थी एक पत्थरझरे कोनों वालाचिकना चमकीला सब पत्थर एक … Read more