हार की जीत

माँ को अपने बेटे और किसान को अपने लहलहाते खेत देखकर जो आनंद आता है, वही आनंद बाबा भारती को अपना घोड़ा देखकर आता था। भगवद् – भजन से जो समय बचता, वह घोड़े को अर्पण हो जाता। वह घोड़ा बड़ा सुंदर था, बड़ा बलवान। उसके जोड़ का घोड़ा सारे इलाके में न था। बाबा … Read more

साइकिल की सवारी

भगवान ही जानता है कि जब मैं किसी को साइकिल की सवारी करते या हारमोनियम बजाते देखता हूँ तब मुझे अपने ऊपर कैसी दया आती है। सोचता हूँ, भगवान ने ये दोनों विद्याएँ भी खूब बनाई हैं। एक से समय बचता है, दूसरी से समय कटता है। मगर तमाशा देखिए, हमारे प्रारब्ध में कलियुग की … Read more

सच का सौदा

1 विद्यार्थी-परीक्षा में फेल होकर रोते हैं, सर्वदयाल पास होकर रोये। जब तक पढ़ते थे, तब तक कोई चिंता नहीं थी; खाते थे; दूध पीते थे। अच्‍छे-अच्‍छे कपड़े पहनते, तड़क-भड़क से रहते थे। उनके माता-पिता इस योग्‍य न थे कि कालेज के खर्च सह सकें, परंतु उनके मामा एक ऊँचे पद पर नियुक्‍त थे। उन्‍होंने … Read more

राजा

1 “सौ साल।” मैं चौंक पड़ा। मुझे अपने कानों पर विश्‍वास न आया। मैंने कापी मेज पर रख दी और अपनी कुरसी को थोड़ा-सा आगे सरकाकर पूछा -“क्‍या कहा तुमने? सौ साल? तुम्‍हारी उम्र सौ साल है?” तीनों कोटों को एक साथ बाँधते हुए धोबी ने मेरी तरफ देखा और उत्‍तर दिया – “हाँ बाबू … Read more

परिवर्तन

1 किसी नगर में एक बेपरवाह, अभिमानी नवयुवक रहता था। उसका नाम सईद था। वह बड़ा ही सुंदर था – उसका रंग गोरा था, चेहरा-मोहरा भी अच्‍छा था और आँखों में मोहनी थी। परन्‍तु वह मूर्ख था। 2 जब वह बाजार जाता था तो रास्‍ते में एक बूढ़े फकीर को देखकर हँसा करता था। उसकी … Read more

दिल्‍ली का अंतिम दीपक

1 जिन्‍होंने सन् 1880 में दिल्‍ली का चाँदनी चौक देखा है उन्‍होंने सुभागी का भाड़ अवश्‍य देखा होगा। आज वह भाड़ दिखाई नहीं देता, न सायंकाल उसका धुआँ आकाश की ओर जाता नजर आता है। वह पूरबी स्त्रियों का समूह, वह गरीबों का जमाव, वह बच्‍चों का कोलाहल, जिस पर रसीले गीतों की मोहिनी निछावर … Read more

गुरु-मंत्र

1 आधी रात के समय नवयुवक एकनाथ ने बहुत धीरे से अपने मकान का दरवाजा खोला और बाहर निकल आया। गली, बाजार, गाँव – सब सुनसान और अंधकारमय थे। एकनाथ ने एक क्षण के लिए ठहरकर अपने घर की तरफ देखा, अपने बूढ़े बाबा और निर्बल दादी का खयाल किया, अपने मित्र – बन्‍धुओं के … Read more

अंधकार

लाला रामनारायण अमृतसर के प्रसिद्ध व्‍यापारी थे, मिट्टी को भी हाथ लगाते तो सोना हो जाता। उन पर लक्ष्‍मी की विशेष कृपा थी – उनकी दो दुकानें थीं, एक कपड़े की, दूसरी अंग्रेजी दवाइयों की। उन्‍हें दोनों से मुनाफा होता था। किसी वस्‍तु का टोटा न था। भगवान ने सब कुछ दिया था, मगर कुछ … Read more