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अंधकार का पहरा

उथला पानीकुआँ है गहरासीढ़ी ऊपरपाँव जमाएअंधकार का बैठा पहरा। रस्सी छोटीघड़े में दरकन,अड़बड़ रस्तापनघट फिसलन !प्रजातंत्र कीइस संसद मेंसब चेहरों परएक ही चेहरा। बड़का मेंढकतल में बोला –माईक गूँजेअर्थ टटोला !प्यासे कंठों कोकेवल आश्वासनसब मंचों कायही ककहरा।