सूरज से कम नहीं उलाहना

सूरज से कम नहीं उलाहना

सूरज से कम नहीं उलाहना,धूप लू को रिश्वत में बाँटना।कट रहे पेड़ जब यहाँ-वहाँ,छाया की क्या करें कामना छायादार वृक्षों की क्या कहें,बन रहे अमीरों के पालना।खलियानों में आग-सी बयार,सड़कों पर श्रमिकों का हाँफना। जब सूखे हों पालिका के नल,बाजार में पानी को बेचनाआजादी प्रजातंत्र सुख कोखुले आम पैसे से बेचना। एक दिन आएगा रामराज्य,एक … Read more

विचारों की होली

विचारों की होली

न्यूनतम तापमान, होली में जमता रंग,पिचकारी कैसे भरूँ, बरफबारी के संग।इंटरनेट की आड़ में, देख बधाई पत्र,फागुन भर की याद से, रंग दिखा सर्वत्र। हिंदी स्कूल नार्वे में, खूब मचा हुडदंगएक दूजे के गाल में लगा दिया है रंग।अर्चना की किताब का बहुत चढ़ा गुलाललोकार्पण से हुआ ऊँचा हिंदी भाल। मारीशस के अनथ सुने कपिल … Read more

लखनऊ की चाशनी कहाँ गई?

लखनऊ की चाशनी कहाँ गई?

लखनऊ का पान,वह सुहूर, प्रेम पकवानजहाँ बेला, चमेली, सितारा और चाँदनीबन जाती हैं जान।पुरानी बस्तियों की हवा सुहानी है,नई बस्तियों में हवा बहानी हैजीवन में प्रेम न कियायह कैसी नादानी है?प्रेम स्पर्श ही नही,प्रेम पीर ही सही,प्रेम में मरते हैं जोवही प्रेम के पुजारी हैंप्रेम देना है, लेना है ही नहीं,यही तो लखनऊ की कहानी … Read more

दीप जले

दीप जले

अंधकार सेहृदय हार सेबिखरते सुमनहरसिंगार केहर मन ज्योति जले,दुख दर्द हमार छलेदीप जले,मन की प्रीत तले कब अनार सेजलते-जलतेकितने बम फटेंसुख तो बाँट चुके हैं भैयादुख-बादल न छटेंमंदिर-द्वारे गुरुद्वारेशिकवें भुला चलेंमिलकर आज गलेदीप जले,मन की प्रीत तले सड़क किनारे बाल श्रमिक कोघर में महरिन-मालिन स्वच्छकार कोगली कूचे में कूड़े से निकालकरकागज, खनिज, प्लास्टिक-शीशाजो देश की … Read more

जलपरी

जलपरी

कोपेनहेगन मेंसागर तट परसौ वर्षों से निहारतीनन्हीं सागर महिलाअसंख्यों से हुई भेंटकितने प्रतीक्षारत हैंएक दृष्टि पाने कोपत्थर पर बैठी यहसुधबुध खोए यह अहिल्या नहीं,अजंता और एलोरा की अप्सरा भी नहींमछली के रूप मेंआई एक जलपरी!छरहरी, देह से गुलमोहरी! कितने ही पाशों ने बाँधा तुमकोजिसने जैसा चाहा पाया सानिध्य,न कोई उलाहनासभी के लिए एक सी,मूक-वधिर की … Read more

ओस्लो की सड़क पर

ओस्लो की सड़क पर

ओस्लो की सड़क परभीख माँगता दर-दर… नशे में धुत हकलाता स्वरहार दू समो पेन्गेर?(तुम्हारे पास छोटे सिक्के हैं?)फेम्मेर एल्लेर थीएर!(पाँच या दस क्रोनर का सिक्का!)कुछ अनसुने कुछ अनकहे चले जातेकुछ घूरते, नजर फेरकर।आँखों में बुझे दीपक की लौफैलाए अपने हाथ (पर)भीख माँगता दर-दर. सर्द हवाओं को चीरतामन में अधीरताबर्फ को पाँव से धकेलता,मुह नाक से … Read more

उठाओ हाथ में मशाल

उठाओ हाथ में मशाल

मशाल की है मजालजल उठी है भोर सेज्यों गर्भनाल! कविता पर जो तालियों का शोर है,जनता की सामर्थ्य का जो जोर है,ताली के दो नहीं, बस एक हाथ चाहिए,उठा लो एक हाथ में मशाल!करें कदम ताल.अन्याय को वेध दे अकाल!गांधी के संदेश से हल करें सवाल आतंकियों की टोलियाँ नई-नई,हाथ में चूड़ी पहनेजो उठा नहीं … Read more