घास-पात से निबटकर गोमती भैंस हथियाने गोठ गई हुई थी। असाढ़-ब्याही भैंस थी। कार्तिक तक तो ठीक चलती रही, मगर पूस लगते ही एकदम बिखुड़ गई। कार्तिक तक दोनों वक्त के तीन-साढ़े तीन से नीचे नहीं उतरी थी, मगर पूस की तुषार जैसे उसके थनों पर ही पड़ गई। दुकौली के तीन-साढ़े तीन सेर से […]
Shailesh Matiyani
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मिसेज ग्रीनवुड
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बित्ता भर सुख
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प्रेत-मुक्ति
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दो दुखों का एक सुख
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एक शब्दहीन नदी
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