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रुका हुआ रास्ता

घास-पात से निबटकर गोमती भैंस हथियाने गोठ गई हुई थी। असाढ़-ब्याही भैंस थी। कार्तिक तक तो ठीक चलती रही, मगर पूस लगते ही एकदम बिखुड़ गई। कार्तिक तक दोनों वक्त के तीन-साढ़े तीन से नीचे नहीं उतरी थी, मगर पूस की तुषार जैसे उसके थनों पर ही पड़ गई। दुकौली के तीन-साढ़े तीन सेर से […]